Thursday 1 March 2012

भारत का पोर्निकरण


 बढती लोकप्रियता और  पोर्न के प्रति नशा 

इन्टरनेट के आने के बाद से अनेक बदलाव देखने को मिले हैं न सिर्फ विश्व में बल्कि विश्व के छोटे से छोटे कोने में भी आज विलक्षण बदलाव देखे जा सकते हैं ! आज के परिप्रेक्ष्य में देखा जाये तो ये कहना ज़रा भी अतिशयोक्तीपूर्ण  नहीं होगा की ....आज की सूचना क्रांति का महासृजक केवल और केवल इन्टरनेट ही है! आज इन्टरनेट ने सम्पूर्ण विश्व को एक पी.सी और लैपटॉप पर ला कर सीमित कर दिया है..या ये कहें की सम्पूर्ण विश्व को एक ही जगह लाकर एक कर दिया है. इसने राष्ट्रीयता की सीमाओं को ना सिर्फ खत्म किया है है बल्कि देशों को एक दूसरे  के और करीब ला दिया है. इंटरनेट सही मायनो में आधुनिकता की धुरी के साथ-साथ उत्तराधुनिकता के विमर्श का एक सही मंच बन चुका है. आज इस हाईपर - टेक्स्ट का पाठक  केवल  पाठक नहीं रहा है..बल्कि वो आज सृजक भी है..वह  अपने  काम  को जैसे चाहे अंजाम दे सकता है..जो  मन करे वो देख सकता है पढ़ सकता है सुन सकता है...आज के इस महंगाई भरे दौर में केवल इन्टरनेट वो बनकर उभरा है जिसने सभी माध्यमों की तुलना में सबसे सस्ताई दिखाई है..महज कुछ भुगतान के बाद अनेक सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं..!!

लेकिन जहाँ एक ओर  इस इंटरनेट ने इतनी सुविधाओं को दिया है वहीँ दूसरी ओर काफी विकृतियों को भी जन्म दिया है..उदाहरण स्वरुप  अश्लीलता के पैमानों को लांघ कर एक नयी दुनिया का सृजन कर डाला है...!!!जिसमे  आज का इन्टरनेट का उपभोक्ता वर्ग ही रहता है..और उन उपभोक्ता  वर्गों में भी कई वर्ग बन चुके हैं..वेसे कहा तो ये जाता है की अश्लीता का कोई पैमाना नहीं होता है वो तो केवल युग ओर क्षेत्रीय के सापेक्ष होती है ..आज इन्टरनेट पर असभ्य भाषा, गंदे सन्देश,के अबाधित  प्रसार ने मानवीय संवेदन शीलता को अमानवीय बनाने का कुचक्र बड़े पैमाने पर किया जा रहा है..  इसी का एक रूप हमें पोर्न के रूप में देखने को मिल रहा है..किसी ज़माने में इस पोर्न से सम्बंधित वस्तुएं चोरी-छिपे देखी और  बेचीं जाती थीं..जिसमे  महिलाओं के लिए तो ये सब वस्तुएं काफी दुर्लभ हुआ करती थीं..लेकिन आज इन्टरनेट के  डिजिटलाईजेशन ओर अबाधित व्यवसायीकरण ने पोर्न के व्यापर को नए आयाम दे डाले  हैं..इंटरटेनमेंट के सबसे सस्ते माध्यम ने जैसे ही बाज़ार में कदम रखा वैसे ही एक लोकप्रिय माध्यम बन गया और आज आलम ये है की विदेशों से आने वाले विडिओ  सबसे ज्यादा भारत में ही देखे जा रहे हैं.....!
          बहरहाल वर्तमान समय में अमेरिका ही ऐसा देश है जहाँ सबसे ज्यादा पोर्न फिल्म बनायीं जाती हैं...हालाँकि  सत्तर के दशक में अमेरिका में भी इस के लिए काफी पहले ही रोक  लगा दी थी ...अंततः ये देखा गया की रातों रात मार्केट से इस प्रकार की सामग्री गायब हो गयी लेकिन कुछ ही समय बाद इन्टरनेट ने स्टोरी board के रूप में वापसी की और आज इन्टरनेट ने इस विषय में काफी तराकी  हासिल कर ली है ...!!
              पोर्न सामग्री आसानी से  उपलब्ध  कराने में डिजिटल  टेक्नोलोजी   की बड़ी भूमिका रही है...आज डिजिटल  कैमरा से बड़ी ही असानी से तस्वीरें खींचीं जा सकटी   हैं, और उन्हें इन्टरनेट के माध्यम से ही बड़ी ही आसानी और शीघ्रता से कही भी भेजा जा सकता है....आज डिजिटल कैमरे से ली हुई फोटो ग्राफ्स का किसी भी प्रकार से दुरूपयोग किया जा सकत है...अनेक गैरपेशेवर फोटोग्राफर इस पद्धति का दुर-उपयोग   कर के पोर्नोग्राफी फिल्म तैयार कर के धड़ल्ले से बेच रहे हैं...और नेट पर इस प्रकार की सामग्री उपलब्ध करवा  रहे हैं...यदि देखा जाये तो "एमेच्योर डोट कॉम " इसी वजह से सबसे ज्यादा लोकप्रिय साईट है वर्तमान समय में ...!!


      ये बात तो उल्लेखनीय है ही की 'एमेच्योर ' एक विधा है,जो पहले मुद्रित माध्यमो (प्रिंट मीडिया )में पहले आई ..!!मुद्रित माध्यमो से जो लोग पोर्नोग्राफी तैयार कर रहे थे वही  लोग इस  के लिए आगे आये....ये एक प्रकार से मुद्रित माध्यमों  का डिजिटल  रूपांतरण है...क्योंकि   आज समय वर्चुअल रिअलिटी का है ...ऐसे में सभी इसी वर्चुअल के पीछे  भागने लगे हैं..यहाँ वर्चुअल से तात्पर्य है --''जो वास्तव में उपलब्ध न हो ,जिस विषय के लिए असंतोष हो.. दरअसल वर्चुअल का सम्बन्ध बहुराष्ट्रीय  कम्पनियों और पूँजी  का समीकरण है...!!आज  वर्चुअल से अलग हट कर जीना संभव नहीं है ...!!आज वर्चुअल  ने आर्थिक, राजनैतिक,सामाजिक,वैज्ञानिक न्याय,धर्म,दर्शन  और सांस्कृतिक सभी क्षेत्रों में पैर पसार लिए हैं...इस परिप्रेक्ष्य  में  देखें तो हमें पोर्न क्रांति को अनदेखा नहीं करना चाहिए..!!आज इस ने संपूर्ण विश्व के  प्रत्येक तबके में  एक नया जनाधार तैयार कर लिया है....!!!परिणामस्वरुप आज इस से बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन जान पड़ने लगा है..!!खासकर शिक्षित वर्ग में शायद  ही कोई व्यक्ति ऐसा हो जिसने पोर्न न देkhee  हो..यदि ना भी देखी हो तो केबल, टेलीविजन ,और विडियो क्रान्ति और फिल्मों के  उस विषय में उत्सुकता जगा दी  हैं..!! भारतीय  सिनेमा के आज के प्रत्येक गाने में अश्लीलता ओर द्विअर्थी शदों का सम्मलेन  के साथ भोंडे नाच को शामिल कर  के ना जाने सिनेमा को   कहाँ  ले जाने का बीड़ा उठा रखा है??


                यदि देखा जाये तो भारत के पोर्निकरण  में कुछ तत्वों ने बढ़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है उदाहरण के लिए देखें तो  पिछले दिनों  दक्षिण भारत की अभिनेत्री सिल्क स्मिता पर बनी फिल्म ने पहले ही हफ्ते ने 50  करोड़  की कअमाई कर डाली ..दूसरी और सनलस्ट  से गठजोड़  के कारण पोर्न इंडस्ट्री की नामी गिनामी हस्तियों में शामिल  इंडो-कनाडियाई पोर्न एक्ट्रेस सनी लेयोनी(करेन मल्होत्रा ) सबसे महंगी पोर्न एक्ट्रेस और मुह मांगी कीमत वसूल करने वाली एक्ट्रेस भारतीय मूल की है...!!उनका कहना है की "मेरे भारत में आने के  कारण  ही  भारतीय लोगों ने पोर्न पर खुलकर बात करनी शुरू की है...उनकी दिलचस्पी तो पहले से थी  लेकिन रहय अब जा कर खुला है."   वहीँ वर्ल्ड कप के कारण सुर्ख़ियों में आई  मॉडल पूनम पाण्डेय में ये घोषणा की थी की  अगर भारत ने कप जीता  तो वेह निर्वस्त्र होंगी ..!!यहाँ ये समझ नहीं आता की क्या भारतीय परंपरा  कुछ इस प्रकार से कहती भी है ???की जीत की ख़ुशी निर्वस्त्र   हो कर मनाएं..!!


                आज भारत में लोगों में  पोर्न के प्रति  रुझान काफी देखने को मिल रहा है..!!आज मुंबई में फिल्म पार्लरों में 10 से 20 रूपये मात्र में पोर्न फिल्मे देखी जाती हैं..!!और उनका दर्शक वर्ग मजदूर वर्ग है..जहाँ 51 इंच का एक टीवी और सीडी प्लेयर होता है..गंदगी और बदबू  से   उन दर्शकों  को कोई आपत्ति  नहीं होती है ..!!
      अहमदाबाद में मोबाइल के मालिक मोटी  कमाई  कर रहे हैं...जिनके मुख्य ग्राहक युवा वर्ग है वे लोग हार्ड डिस्क से मोबाइल के मेमोरी कार्ड में   फिल्म ट्रांसफर कर देते हैं...जहाँ 30  मिनट  की एक विडियो 100 से 200 रुपये में उपलब्ध हो जाती है ...!!
      कलकत्ता में पोर्नोग्राफी के प्रति रुझान भले ही कम देखने को मिला है लेकिन गूगल सर्च में वो इस विषय में शीर्ष शहरों में की फेहरिस्त में शामिल है..!!
       वहीँ दिल्ली में हुई सर्वे के अनुसार दिल्ली के टॉप स्कूलों में ये पाया गया की   47 फीसदी लड़कों और २९ फीसदी लड़कियों ने पोर्न फ़िल्में देखीं हैं...!!वर्तमान समय में 3 जी का उपभोक्ता वर्ग में  5 में से एक उपभोक्ता दिल्ली एक पोर्न देखता है..!! और कॉलेजों के युवाओं  में देखा जाये तो यहाँ भी 47 फीसदी युवा रोज़ इस विषय पर बात करते हैं..!! यानि की स्मार्ट  फोन के रूप में आज पोर्न जेबों में घुमने लगा है..!!ओफीसों में ये साइट्स खोले लोग अक्सर दिख जाते हैं..!!!इस बात का सबसे अच्छा उदाहरण है हाल ही में हुए कर्नाटक   के विडियो कांड में वहां   के मंत्रियों द्वारा पूनम पाण्डेय का बाथरूम क्लिप और रेव पार्टिओं के दौरान हुए बलात्कारों की विडियो देखते हुए संसाद में पकड़ा जाना ..!!


              वैश्विक वेब इन्फोर्मशन  कंपनी ALEXA  ने जिन भारतीय वेबसाइटों  को शीर्ष (टॉप)500 में जगह दी है उनमे से 25 सीटें पोर्न हैं...यानि की अंदाजा लगाया जा सकता है पोर्न के रुझानों में इस प्रकार की साइटें  किस प्रकार अपना रोल  अदा कर रहीं हैं..!!आज पोर्न इंडस्ट्री 4 अरब  डॉलर  से 15 अरब डॉलर की है..!!जिसका सबसे बड़ा सृजक अमेरिका है..!! आज अमेरिका से संचालित इन साइटों में अनेक प्रकार की साइटें है पोर्न से जुडी --समलैंगिक, सामूहिक, इत्यादी लेकिन हद तो तब है जब बच्चों को इन सीटों से जोड़ने के लिए कुछ इस प्रकार की टीन एज पोर्न साइट्स बना दी हैं..जिनमे अधिकतर  वीडियो एशिया तथा अफ्रीका के बच्चों की हैं...और कुछ यूरोप के देशों की..यदि यहाँ देखा जाये की एशिया ओर अफ्रीका के देशों की बच्चों की ऐसी विडियो क्यों हैं???तो इसके पीछे एक बहुत ही बड़ा तथ्य सामने आता है ...क्योंकि इसके पीछे सबसे बड़ा करक यहाँ की आर्थिक स्थिति है ..यहाँ के गरीब घरों के माता-पिताओं को  बाकायदा इस के लिए पैसे दिए जाते हैं ..और एक निश्चित धनराशी पर ये विडियो बनवाई जाती हैं..!!
      खुद भारत  में ही  सविता भाभी जैसे पोर्न साइट्स चलती हैं जिसमे एक गृहणी को दिखाया गया है की किस प्रकार वो खुद लोगों को अपना शिकार बनाती है अपने जिस्म से  ...!!!साथ ही आज देखा जाये तो फेसबुक जैसी सोशल नेट्वोर्किंग पर ही फेक   आई.डी  वाले  अनेक  लोग  मिल जाते हैं jo  अश्लील सामग्री को अपलोड करते हैं ..!!और दूसरी ओर अडल्ट ऑरकुट जैसी साइट्स का बन न काफी घाताक  सिद्ध होगा..हमागी आगे की पीढ़ियों के liye..!!
          आज इस विषय में भारतीय मार्गदर्शन काफी भटकाव पूर्ण हो दिखाई जान पड़ रहा है और भविष्य गर्त में जाता दिख रह है..!!पहली बात तो ये है की पोर्न सामग्री के प्रचार-प्रसार को रोकने के  लिए हमारे देश में न तो पर्याप्त कानून हैं और न पर्याप्त प्रशासनिक  मशीनरी  है ..!! भारत में ये सब इतने बड़े पैमाने पर इसी लिए देखा जा रहा है क्योंकि भारत में साक्षरता की कमी है ओर जानकारियों का अभाव है..!! ये अवैध तो हैं ही ..लेकिन इन पर रोक के कोई मापदंड तो दूर दूर तक दिखाई नहीं पड़ रहे हैं..!!क्योंकि इन्टरनेट पर इसकी रोकथाम तो नामुमकिन है..!!!ऐसे में ज़रुरत है इस विषय पर सोच विचार करने की ..और उसका सबसे बड़ा समाधान साक्षरता ओर जानकारी है..!!

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