समझ नहीं आ रहा है की शुरुआत कहाँ से करूँ ? ...विषय ही इतना पोपुलर है की समझ पाना सच में मुश्किल है की लिखूं क्या और क्या नहीं ? ताकि अपने विद्वानों को रिझाने में किसी हद तक कामयाब हो सकूँ ....!!! बहरहाल शुरुआत करते हैं पोपुलर कल्चर से पोपुलर कल्चर यानि की "पोप-कल्चर" या फिर भारतीय भाषा में "लोक्रप्रिय-संस्कृति'!!! और एक ऐसी संस्कृति जो की आज न सिर्फ भारतीय समाज में बल्कि संपूर्ण विश्व के युवाओं का टेस्ट और आदतें लगभग एक सामान कर डाली हैं...!!!तो साथ ही इस पोपुलर कल्चर जिसकी जड़ें निकली उन अन्तराष्ट्रीय कंपनियों से जो भारत में आई तो सही और आने के बाद भारतीय बाज़ार का स्वरुप ही बदल डाला..!!!जहाँ भारतीय बाज़ार एक पारम्परिकता को दर्शाता था....आज वही बाज़ार "पोपुलर कल्चर" क़ो प्रोमोट करने में जुटा हुआ नज़र आता है..!!!
भारत मे किस प्रकार विदेशी एवं अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने अपनी पैठ बनाई है वो सच मे काबिल-ए-तारीफ़ है .. ये महिना फरवरी का है ...यानि की प्रेमियों के लिए पूरा महिना...!!!!और इसी महीने में देखने को मिलता है प्रेम का नया और लेटेस्ट रूप जिसे "पोपुलर प्रेम" के नाम से जाना जाने लगा है...!!!!
दरसल पोपुलर-प्रेम से तात्पर्य उस प्रेम से है जो आज पुरे विश्व में एड्स की भांति फ़ैल रहा है...!!! ये ऐसा प्रेम है जो बस एक बार देखने में ही हो जाता है और सीसीडी में जा कर प्यार का इज़हार हो जाता है...!!!और पोपुलर कल्चर का सबसे बड़ा अस्त्र यानि की फेसबुक पर ही चेटिंग करते ही प्रोपोज़ल मिल जाते हैं और वही उस प्यार का इज़हार भी हो जाता है ...!!.....लेकिन उस प्रेम की कोई गैरंटी नहीं होती की ये प्रेम सफल हो पायेगा या फिर ज्यादा दिन चल पायेगा ...!!!...दूसरे शब्दों में कहे तो ये प्रेम मात्र चाइनीज़ माल की तरह होता है जो ना जाने कब साथ छोड़ दे...... और कब दो पहिये की गाडी एक ही पहिये की हो जाये कुछ कहा नहीं जा सकता ...!!!
आज ये प्रेम शहरी युवाओं के सर चढ़ कर बोलने लगा है...!!!!..फरवरी माह जिसका हर एक दिन पोपुलर प्रेम के नाम से जाना जाता है...!!!ये सिलसिला चोकोलेट से होकर टेड्डी और ना जाने कहाँ -कहाँ से होकर अपने गंतव्य १४ फरवरी यानि की वेलेंटाइन-डे तक पहुँचता है...!!!....इस दिन का इंतज़ार प्रेमी-जन साल भर करते हैं......और पोपुलर प्रेमियों के लिए तो एक ख़ुशी की बात ये भी है की इस बार फरवरी 29 दिन की है ....यानी की प्रेम के महीने में एक दिन का इजाफा .....! इन प्रेमियों के लिए एक दिन क्या यदि एक घंटा भी साथ बिताने को मिल जाता है तो ये खुद को भाग्यशाली समझते हैं...!!!एक तो शहरों की इतनी व्यस्तता के के कारण ये लोग मिल नहीं पाते हैं...!!दूसरे आज के समाज के ठेकेदार इन्हें चैन से जीने नहीं देते ...!!! ऐसे में बेचारे ये पोपुलर प्रेमी करें तो क्या करें????...बेचारे कितने दुखी है...इस बेज़ार दुनिया से !!!!
आज कल पकिस्तान में भी इन पोपुलर प्रेमियों को तंग करने के लिए एक शो चला दिया है...जिसमे पकिस्तान की एक पोपुलर एंकर अपनी पूरी टीम के साथ जुटी हुई है इन प्रेमियों को दुखी करने में !!!....जैसे-जैसे 14 फरवरी पास आ रही है वैसे-वैसे इन प्रेमियों की दिल की धड़कने और तेज़ होने लगी हैं...क्यूंकि एक और ये ख़ुशी का दिन है तो वही दूसरी ओर एक डर भी अन्दर-ही- अन्दर सता रहा होगा की...कही किसी पार्क में हनुमान दल ,आर.एस.एस या शिव सैनिक ना मिल जाएँ ...!!!इस प्रेम में बाधा डालने के लिए...!!!!
दरअसल हमारी सामाजिकता में लड़के -लड़की दोस्त नहीं हो सकते हैं ....पोपुलर अवधारणा यही है की लड़के लड़की की दोस्ती का अर्थ ही है "प्रेमी-प्रेमिका" होना ..!! और प्रेमी-प्रेमिका की एक ही अवधारणा है की या तो वो विवाह में बढ़ेंगे या बिछोह की निति पे काम करेंगे..!!! राधा - कृष्ण दोस्त हो सकते हैं....कृष्ण -गोपियाँ दोस्त हो सके हैं ....लेकिन लड़का-लड़की दोस्त नहीं हो सकते ...!!एकाध बार दोस्त हो भी जाएँ ...लेकिन फ्रेंड तो बिलकुल नहीं हो सकते हैं....!!!!....होंगे तो गड़बड़ ज़रूर करेंगे....ये सोच तो सार्वजनिक सोच है ..!!!
आज का युवा आधुनिकता को एक अलग नज़रिए से देखता है...वो ल्वाइस की जींस को और पिज्जा को आधुनिकता का पर्याय मान कर चलता है ...किसी व्यक्ति की आधुनिक सोच इस से पता लगाई जाती है की क्या उसने WOODLAND के शूज़ पहने हैं या नहीं 3G फ़ोन हाथ में है या नहीं...!!!और क्या वो व्यक्ति अपने साथ गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेंड रखता है या नहीं...!!!क्योंकि आज के ज़माने में गर्ल फ्रेंड /बॉय फ्रेंड ना रखने वाला व्यक्ति आधुनिक सोच नहीं रखता है ......!!!!ये तो हुई बड़े शहरों की बात लेकिन आज इस आधुनिकता का प्रभाव आज देश के छोटे शहरों में रह रहे युवक और युवतियों के सर पर नाचता हुआ दिखाई दे रहा है...!!! भूमंडलीकरण के जहाँ इतनी सारी खूबियाँ हैं की जहाँने युवाओं को इतना एक्सपोज़र दिया है वही श्लीलता की हदें भी इसी ने तोड़ी हैं..!!! ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़ वाली कॉर्पोरेट-संस्कृति भी यहीं से आयी है...!!!!पोपुलर-संस्कृति से तो पहले से ही आहत थे ओउसमे ये कारपोरेट संस्कृति भी आ कर जुड़ गयी है...!!! ९१ के बाद के काल को देखें इन इस दशक ने भारतीय बाज़ार को जिस प्रकार बदला है वो अतुल्निय है...!!!पश्चिमिकर्ण ने जिस प्रकार हमारी सोच समझ..जीवनशैली ...हमारे जीवन मूल्यों को जिस प्रकार बदला है ...!!शायद हम सोच भी नहीं सकते थे...आज का युवा प्राइवेसी चाहता है..सामान्य टूर पर ऐसी प्राइवेसी नहीं मिल पाती है...तो ये प्राइवेसी उन्हें आज कल के रेस्टोंरेंट उपलब्ध करवा रहे है ...!!!जिसमे ३००-५०० रुपये प्रति घंटा वे इन प्रेमियों से वसूलते हैं...!!!अब इस प्रकार की प्राईवेसी किस प्रकार की प्राईवेसी होती होगी ये हम भली भांति प्रकार से समझ सकते हैं...!!!इस प्रकार की आधुनिकता इन युवाओं को किस और ले जाती है ???हम ये भी भली भांति प्रकार से समझ सकते हैं.
आज इस पोपुलर प्रेम ने पूरा का पूरा एक बाज़ार खड़ा कर डाला है....1991 से शुरू हुए इस बाज़ार ने विश्व के सभी युवाओं को लुभाने के लिए एक मार्केट तैयार कर ली है...!!!!एक नया उपभोक्ता वर्ग तैयार कर लिया है और ज़बरन एक संस्कृति थोपी जा रही है...!!!आज के युवा से अगर पुचा जाये कि 26 जनवरी का महत्व क्या है तो वो शायद ये बता भी ना पायें की 26 जनवरी क्यों मनाई जाती है ???लेकिन फरवरी माह का हर एक दिन याद रखते हैं.....!!!!घर वालो के जन्मदिन भले ही भूल जाएँ लेकिन गर्ल फ्रेंड/बॉय फ्रेंड के HAPPY BIRTH DAY को साल भर याद रखते हैं ...!!! आज ये संस्कृति ना केवल युवाओं का पथ भ्रष्ट कर रही है बल्कि उनहे उनकी परम्पराओं और रिश्तो की अहमियत से दूर भी ले जा रही है..!!!
1 comment:
dolly sabse pahle to mujhe tumhe mubarak baad dena chahunga,khud isi yuva varg se hone ke bawjood bhi baarikiyon par najar rakhi hai....behtarin koshis hai or dusra jo ek prasan uthaya hai ki kya ek ladaka or ladki dost nahi ho sakte ?? yeh tathakathit adhunik mansikta walon par tamacha hai , jo ek taraf to bht aage ki sochte hai....wohi dusri taraf ek ladke or ladki k riste ko premi premika ka naam dete hai..
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