Friday, 19 February 2016

वो रौशनी में डूबी सी आँख

लम्बी सी दाढ़ी,
एक मैली सी टोपी,
तेज़ रोशनी में डूबी सी एक आँख,
सींवन उधड़ी एक आस्तीन,
तहमद  में लगी सिलाई,
बड़े-बड़े  दांतों  सी चमकती है,

वो गली सी चादर बिछा  कर,
कम्बल ओढने  को है,
जिसके सुराक रौशनी देते  हैं,
काली  रातों  में भी,
दौड़ती गाड़ियों  की बत्तियों की,


मैं जब भी मुड़ती हूँ उस किनारे से,
वो रौशनी में डूबी सी आँख ,
कैमरा को  पैन  करती हुई सी,
मेरा  पीछा  करती है !! 

6 comments:

मेरी बाखर said...

Dolly shandaar!

मेरी बाखर said...

Dolly shandaar!

Dolly Bansiwar said...

धनयवाद शर्मा साब !

cartoonist ABHISHEK said...

जिसके सुराख रौशनी देते हैं .......

Dolly Bansiwar said...

'सुराक' सर ...

पढ़ने का वक्त निकालने के लिए बेहद शुक्रिया :)

cartoonist ABHISHEK said...

ok :)