लम्बी सी दाढ़ी,
तेज़ रोशनी में डूबी सी एक आँख,
सींवन उधड़ी एक आस्तीन,
तहमद में लगी सिलाई,
बड़े-बड़े दांतों सी चमकती है,
वो गली सी चादर बिछा कर,
कम्बल ओढने को है,
जिसके सुराक रौशनी देते हैं,
काली रातों में भी,
दौड़ती गाड़ियों की बत्तियों की,
मैं जब भी मुड़ती हूँ उस किनारे से,
वो रौशनी में डूबी सी आँख ,
कैमरा को पैन करती हुई सी,
मेरा पीछा करती है !!
6 comments:
Dolly shandaar!
Dolly shandaar!
धनयवाद शर्मा साब !
जिसके सुराख रौशनी देते हैं .......
'सुराक' सर ...
पढ़ने का वक्त निकालने के लिए बेहद शुक्रिया :)
ok :)
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