आज जब विश्व एक इसे मोड़ पर खड़ा है जहा से सम्पूर्ण विश्व एक ग्लोबल विलेज की संज्ञा के लिए जाना जाता है ....ऐसे में इन्टरनेट ने एक बहुत ही बड़ा योगदान निभाया है....!! विश्व को एक ही मंच पर लेन के लिए!!!! .....आज ये देखा जा रहा है की ....इलेक्ट्रोनिक मीडिया आज एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुक है ...संचार के क्षेत्र में और आज समय आ चला है न्यू- मीडिया का ' ..!!! अब यह एक बड़ा बाज़ार है भले ही हम अब भी डिगिटल दिवेद की बार करते हों . भले ही अब ये कहा जाता हो की बहुसंख्य आबादी इन्टरनेट के इस्तेमाल दे दूर है , इन सबके बावजूद भारत में इन्टरनेट इस्तेमाल करने वालो की सख्या में दस करोड़ से ऊपर हो जाना अपने आप में बदलाव है....इतनी सख्या तो कई विकसित देशों की जनसख्या तक नहीं है....और इतनी हमारे देश में उन लोगो की संख्या है जो की अपने दिन के कर्यलापो के लिए इन्टरनेट का इस्तेमाल करती है..!यानि की दूसरे शब्दों में कहे तो ये आंकड़ा उनका है जो डिगिटल साक्षर हैं..!!!
ये बात तो हम सभी जानते हैं की जब साक्षरता बढती है तो खबरों का विस्तार होना तो लाज़मी ही है ...क्योंकि साक्षरता के साथ -साथ खबरों को पढने वालों की संक्या में इजाफा भी अनायास ही देखने को मिल जाता है..!!!दुनिया भर में डिजीटल साक्षरता के साथ भी यही हुआ है भारत में भी इन्टरनेट का उपयोग बढ़ने के साथ साथ ही समाचार-पोर्टलों की संख्या में भी इजाफा देखने को मिला है....!!!! और साथ-ही-साथ समाचार पत्रों के ई -संस्करणों में भी बढ़ोतरी हुई है..!!!! सबसे पहले अंग्रेजी के समाचार पत्रों और पोर्टल देखने को मिले और उसके बाद ही भारत की अन्य भाषाओँ में भी ई-पेपर और न्यूज़ पोर्टल्स की मनो बाढ़ सी आ गयी..!!!!
जब इनकी शुरुआत हुई थी तब तो ऐसा लगता था की सोशल मीडिया आने के बाद तो लगभग समाप्त ही हो जाएँगे किन्तु ऐसा कुछ हुआ नहीं ...सोशल मीडिया के साथ-साथ ये भी काफी चर्चित और लोकप्रिय होने लगे..!!!! ...समाचार पोर्टलों की सबसे खूबी ये है की इसे कम जमापूंजी में भी शुरू किया जा सकता है..!!!! अखबार, पत्रिका या चेनेल शुरू करने के लिए काफी जमापूंजी की आवश्यकता पड़ती है और ..और साथ ही साथ प्रसारण और प्रकाशन के लिए काफी बड़ा नेटवर्क खड़ा करना पड़ता है..!!! जबकि एक पोर्टल शुरू करने में ज्यादा दिक्कत नहीं आती है ..इसे हम एक कमरे में और कम्प्यूटर सिस्टम में भी शुरू कर सकते हैं..!!!! समस्या शुरू होती है तो इस से आगे की ' ख़बरें कहाँ से जुटाई जाएँ..!!!!...बहुत से पोर्टल ऐसा नहीं कर पाते हैं और शोर्ट कट जैसे रस्ते अख्तियार करते हैं..!!!!....और यही से शुरू होती है कट और पेस्ट पत्रकारिता..........जो की आजकल बाज़ार में काफी फल-फूल रही रही है. ये कुछ इसी प्रकार का है की किसी ज़माने में जब क्षेत्रीय समाचार पत्रों को अन्तराष्ट्रीय या राष्ट्रीय खबरों के लिए निर्भर रहना बढता था ...!!
आज न्यूज़ पोर्टल्स की संख्या तो बढ़ रही हैं लेकिन समाचार सामग्री नहीं बढ़ रही है..अख़बारों के ऑनलाइन संसकरण इन पोर्टलों के मुकाबले इसीलिए ज्यादा चल पाते हैं क्योंकि उनके पास मौलिक और तथ्य परक ख़बरों की कोई कमी नहीं होती है..!!!! और साथ ही साथ दूसरी समस्या ये है की इन ऑनलाइन पोर्टलों का कोई पक्का मॉडल तो है नही ... जबकि प्रिंट और डिजीटल मीडिया का एक पक्का मॉडल बन चुका है ...क्योंकि काफी लम्बे समय से बाज़ार में उपलब्ध हैं....!! ....जहा तक प्रिंट की बात की जाए तो उसने जनसंचार के क्षेत्र में में काफी उठापटक वाला समय देखा है..और इस लम्बे समाये के बाद आज वो अपने उस चारम सीमा पर पहुँच चुकी है की आज उसे किसी मॉडल की कोई आवश्यकता नहीं हैं ..!!!
डिजिटल मीडिया में सबसे ज्यादा और महत्वपूर्ण कुछ है तो वो है विज्ञापन ...!!इन्ही विज्ञापनों के कारण वेब पोर्टल चलते हैं...किन्तु भारत में ऑनलाइन विज्ञापन अभी शुरूआती दौर में हैं....!! किन्तु चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है . क्योंकि जिस प्रकार से ऑनलाइन मीडिया ने कम समय में अपनी जितनी पकड़ बनायीं है उस लिहाज से तो ये भी काफी जल्दी लोकप्रिय हो जाएँगे ..!!और वो सामय दूर नहीं है जब डिजिटल मीडिया की धूम पूरे भारत में मच जाएगी..!!!
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