कल इंडिया गेट का जनसेलाब देखते ही बन रहा था.......क्योंकि इस में हर वर्ग का व्यक्तित्व शामिल था.........फिर चाहे वो बच्चा हो, युवा हो या फिर कोई बुज़ुर्ग इंसान हो......लें इस.जनसमूह में युवाओ का समर्थन ज्यादा दिख रहा है.....आखिर क्यों???????? आज का युवा वो युवा है जो पुरानी धारणाओ को मानने से मन करता है.....रूढवादिता को तोड़ता है..... पोपुलर कल्चर में जीता है....जिसे हर एक मिनट में कुछ नया चाहिए'....ऐसा युवा क्यों 'जनलोकपाल' के साथ है?????...........क्या केवल इसीलिए की ये एक नया विषय है.....यदि इस प्रकार की विचारधारा कोई व्यक्ति रखता है तो ये सरासर निरर्थक है..........................आज का युवा जो पोपुलर कल्चर में जीता है तो कॉर्पोरेट सेक्टर और विदेशी कम्पनियों में नौकरी करना भी इसी का एक हिस्सा है..............जिनमे इस युवा का वर्तमान और भविष्य है .................ये एक ऐसा विषय है , जो युवा को सबसे ज्यादा कचोटता है....क्योंकि उसके पास नौकरी तो है लेकिन उस नौकरी की कोई न तो गारंटी है और न ही कोई रियायत है............ऐसे में न तो भ्रष्टाचार करने जैसी कोई जगह है और न ही उसके पास घूसखोरी जैसी आज़ादी है............उसके लिए कॉलसेंटर में भ्रष्टाचार केवल दो मिनट सो जाना है या फिर काम करते वक्त रेडियो सुन लेना है................ऐसे में उसके पास ऊपरी धन की गुंजाईश ही नहीं बचती है......लेकिन जब वो किसी काम को करवाने के लिए सरकारी दफ्तर जाता है.............और उस से घूस मांगी जाती है तो उसका खून खौल जाता है ..........क्योंकि जब वो किसी से लेता नहीं है तो देना भी नहीं चाहता है............आज इसीलिए युवाओ का हुजूम जनलोकपाल के साथ है.............बहुत से युवा ऐसे भी देखने को मिले जो ठीक प्रकार से ये जानते भी नहीं है की ' लोकपाल और जनलोकपाल' में अंतर क्या है ?...... लेकिन फिर भी साथ है....!!!!!!!!!!
Thursday, 18 August 2011
YUVA OR JANLOKAPAL........KYON HAI SAATH???????/
कल इंडिया गेट का जनसेलाब देखते ही बन रहा था.......क्योंकि इस में हर वर्ग का व्यक्तित्व शामिल था.........फिर चाहे वो बच्चा हो, युवा हो या फिर कोई बुज़ुर्ग इंसान हो......लें इस.जनसमूह में युवाओ का समर्थन ज्यादा दिख रहा है.....आखिर क्यों???????? आज का युवा वो युवा है जो पुरानी धारणाओ को मानने से मन करता है.....रूढवादिता को तोड़ता है..... पोपुलर कल्चर में जीता है....जिसे हर एक मिनट में कुछ नया चाहिए'....ऐसा युवा क्यों 'जनलोकपाल' के साथ है?????...........क्या केवल इसीलिए की ये एक नया विषय है.....यदि इस प्रकार की विचारधारा कोई व्यक्ति रखता है तो ये सरासर निरर्थक है..........................आज का युवा जो पोपुलर कल्चर में जीता है तो कॉर्पोरेट सेक्टर और विदेशी कम्पनियों में नौकरी करना भी इसी का एक हिस्सा है..............जिनमे इस युवा का वर्तमान और भविष्य है .................ये एक ऐसा विषय है , जो युवा को सबसे ज्यादा कचोटता है....क्योंकि उसके पास नौकरी तो है लेकिन उस नौकरी की कोई न तो गारंटी है और न ही कोई रियायत है............ऐसे में न तो भ्रष्टाचार करने जैसी कोई जगह है और न ही उसके पास घूसखोरी जैसी आज़ादी है............उसके लिए कॉलसेंटर में भ्रष्टाचार केवल दो मिनट सो जाना है या फिर काम करते वक्त रेडियो सुन लेना है................ऐसे में उसके पास ऊपरी धन की गुंजाईश ही नहीं बचती है......लेकिन जब वो किसी काम को करवाने के लिए सरकारी दफ्तर जाता है.............और उस से घूस मांगी जाती है तो उसका खून खौल जाता है ..........क्योंकि जब वो किसी से लेता नहीं है तो देना भी नहीं चाहता है............आज इसीलिए युवाओ का हुजूम जनलोकपाल के साथ है.............बहुत से युवा ऐसे भी देखने को मिले जो ठीक प्रकार से ये जानते भी नहीं है की ' लोकपाल और जनलोकपाल' में अंतर क्या है ?...... लेकिन फिर भी साथ है....!!!!!!!!!!
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