पॉपुलर कल्चर , पॉप कल्चर या फिर लोकप्रिय कल्चर आज न सिर्फ शहर जीवन
बल्कि आंचलिक जीवन का भी हिस्सा बन चुका है ! मॉल, मल्टीप्लेक्स से होकर
आज पॉपुलर कल्चर प्रत्येक वर्ग की जीवन शैली में सेंध लगा चुका है ! यानि
की ज़ाहिरी तौर पर आज लोकप्रिय कल्चर आम जन जीवन का हिस्सा बन चुका है
!यहाँ लोकप्रिय संकृति को समझना तब ज़रूरी हो जाता है जब लोकप्रिय
संस्कृति 'लोक संस्कृति' और 'जन-संस्कृति ' के अंतर में भ्रम उत्त्पन्न
होने लगता है ..!
यदि हम लोक संस्कृति को मोटे तौर पर जानें तो निश्चय ही लोकप्रिय
संस्कृति में जन जीवन के सुख -दुःख और अंतर्विरोध सामूहिक लेकिन स्वतः
स्फूर्त रूपों में होते हैं वहीँ 'जन-संस्कृति' के निर्माता इसका इस्तेमाल
बतौर कच्चे माल के रूप में करते हैं, क्योंकि इसमें जनता की आकाक्षाएं
भ्रूण रूप में मौजूद होती हैं , अतः कहा जा सकता है की आकाक्षाएं शासक
वर्गीय विचारधारा , जनता के पिछड़े चिंतन और परम्पराओं से प्रभावित रहती
हैं ! वहीँ 'लोक-संस्कृति ' मनुष्य की सामूहिक चेतना की सहज अभिव्यक्ति
होती है ! वह मनुष्य के सामाजिक अनुभवों का सर्जनात्मक रूपांतर है . लोक
मंगल की कामना उसका सारतत्व है . उसकी वास्तु में जीवन के नैसर्गिक लयहोती
है ,वह स्तानीय हो सकती है और उसमे मनोरंजन के भरपूर तत्व भी हो सकते हैं
लेकिन ये नहीं भूलना चाहिए की उसका एक सामाजिक चरित्र होता है . वह
व्यक्ति को समूह के भीतर है और उसका सर्वांगिये परोपकार करती है
सामूहिकता उसकी सर्वप्रमुख विशेषता है और जहाँ तक कहा जाये " सामाजिक सहकर "
उसका अर्थपूर्ण सन्देश है !!
वहीँ 'लोकप्रिय संस्कृति(पोपुलर कल्चर ) ' की
रचनाएँ लोक संस्कृति की तरह सामूहिक उत्पाद नहीं होती हैं .उनका उत्पादन
जनता के चिंतन के स्तर को बिठाये बिना उन्हें बड़े पैमाने पर आकर्षित
करने के लिए किया जाता है एक नज़रिए से देखा जाये तो उनमे न सिर्फ तत्कालीन
प्रभावी चिंतन पद्दति के मज़बूत प्रभाव होते हैं बल्कि वे इसे बल भी प्रदान
करते हैं.
लोकप्रिय संस्कृति ज़ाहिरी तौर पर बाज़ार की पैदाइश है . यदि देखा जाये तो आमतौर पर हमारे साल- भर में कुछेक पर्व आते हैं , और उन्हें मानाने के अवसर मिलते है . किन्तु इस संस्कृति में साल भर के ३६५ दिन वैश्विक बाज़ार के पर्व मानाने के अवसर मिल जाते हैं .
ये संस्कृति तीन 'म ' कारों के सहारे पैदा होती है - १) मनी, २) मार्केट, ३)मीडिया , यही कारण है की इन तीन 'म ' कारों के विकास और व्याप्ति के साथ -साथ लोकप्रिय संस्कृति भी बढती जा रही है . और इसका दायरा भी विकसित होता जा रहा है .
1 comment:
is topic ke liye hamare juniors ke liye tere blog ka refrnc zarur dena chahiye :-)
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